श्रीमहागणपति सहस्त्रनामावलि
विनियोग – ॐ अस्य श्रीमहागणपति सहस्त्रनामावलि-महामन्त्रस्य श्रीगणेश ऋषि। अनुष्टुप् छन्द:।
श्रीमहागणपति देवता। गं बीजम्। हुं शक्ति:। स्वाहा कीलकं। श्रीमहागणपति प्रसाद सिद्धयर्थे जपे विनियोग:।
ऋष्यादि-न्यास कर न्यास अंग विन्यास
श्रीगणेश ऋषये नम: गां अंगुष्ठाभ्यां नम: गां हृदयाय नम:
अनुष्टुप छन्दसे नम: मुखे गीं तर्जनीभ्यां नम: गीं शिरसे स्वाहा
श्रीमहागणपति देवतायै नम: हृदि गूं मध्यमाभ्यां नम: गूं शिखायै वषट्
गं बीजाय नम: गुह्ये गैं अनामिकाभ्यां नम: गैं कवचाय हुं
हुं शक्तये नम: नाभौ गौं कनिष्ठिकाभ्यां नम: गा नेत्र त्रयाय वौषट्
स्वाहा कीलकाय नम: पादयो: ग: करतलकर पृष्ठाभ्यां नम: ग: अस्त्राय फट्
श्रीमहागणपति प्रीत्यथेZ जपे विनियोगाय नम: सर्वांगे
दिग् बन्धन – `भूर्भुव: स्व: ॐ´
ध्यान -
पंच वक्त्रो दश भुजो, ललाटेन्दु: शशि-प्रभ:।
मुण्डमाल: सर्पभूषो, मुकुटांगद-भूषण:।।
अग्न्यर्क-शशिनो भाभि:, तिरस्कुर्वन् दशायुध:।
सर्वविघ्न हरो देव, तं ध्यायामि दिवा-निशम्।।
मानस पूजन – लं पृथिव्यात्मने श्रीमहागणपतये गन्धं लेपयामि। हं आकाशात्मने श्रीमहागणपतये पुष्पाणि समर्पयामि। यं वाय्वात्मने श्रीमहागणपतये धूपं घ्रापयामि। रं अग्न्यात्मने श्रीमहागणपतये दीपं दर्श्रयामि। वं अमृतात्मने श्रीमहागणपतये नैवेद्यं निवेदयामि।
ॐ गणेश्वराय नम:
ॐ गण-क्रीडाय नम:
ॐ गण-नाथाय नम:
ॐ गणाधिपाय नम:
ॐ एक-दंष्ट्राय नम:
ॐ वक्र-तुण्डाय नम:
ॐ गज-वक्त्राय नम:
ॐ महोदराय नम:
ॐ लम्बोदराय नम:
ॐ धूम्र-वर्णाय नम:
ॐ विकटाय नम:
ॐ विध्न-नायकाय नम:( विध्न-नाशनाय नम:)
ॐ सु-मुखाय नम:
ॐ दुर्मुखाय नम:
ॐ बुद्धाय नम:
ॐ विध्न-राजाय नम:
ॐ गजाननाय नम:
ॐ भीमाय नम:
ॐ प्रमोदाय नम:
ॐ आमोदाय नम:
ॐ सुरानन्दाय नम:
ॐ मदोत्कटाय नम:
ॐ हेरम्बाय नम:
ॐ शम्बराय नम:
ॐ शम्भवे नम:
ॐ लम्ब-कर्णाय नम:
ॐ महा-बलाय नम:
ॐ नन्दनाय नम:
ॐ अ-लम्पटाय नम:
ॐ अ-भीरवे नम: (भीमाय नम:)
ॐ मेघ-नादाय नम:
ॐ गणज्याय नम:
ॐ विनायकाय नम:
ॐ विरूपाक्षाय नम:
ॐ धीर-शूराय नम:
ॐ वर-प्रदाय नम:
ॐ महा-गणपतये नम:
ॐ बुद्धि-प्रियाय नम:
ॐ क्षिप्र-प्रसादनाय नम:
ॐ रूद्र-प्रियाय नम:
ॐ गणाध्यक्षाय नम:
ॐ उमा-पुत्राय नम:
ॐ अघ-नाशनाय नम:
ॐ कुमार-गुरवे नम:
ॐ ईशान-पुत्राय नम:
ॐ मूषक-वाहनाय नम:
ॐ सिद्धि-प्रियाय नम:
ॐ सिद्धि-पतये नम:
ॐ सिद्धाय नम:
ॐ सिद्धि-विनायकाय नम:
ॐ अ-विघ्नाय नम:
ॐ तुम्बुरवे नम:
ॐ सिंह-वाहनाय नम:
ॐ मोहिनी-प्रियाय नम:
ॐ कटंकाय नम:
ॐ राज-पुत्राय नम:
ॐ शालकाय नम:
ॐ सिम्मताय नम:
ॐ अमिताय नम:
ॐ कूष्माण्ड-साम-सम्भूतये नम:
ॐ दुर्जयाय नम:
ॐ धूर्जयाय नम:
ॐ जयाय नम:
ॐ भू-पतये नम:
ॐ भुवन-पतये नम:
ॐ भूतानां पतये नम:
ॐ अव्ययाय नम:
ॐ विश्व-कर्त्रे नम:
ॐ विश्व-मुखाय नम:
ॐ विश्व-रूपाय नम:
ॐ निधये नम:
ॐ घृणये नम:
ॐ कवये नम:
ॐ कवीनामृषभाय नम:
ॐ ब्रह्मण्याय नम:
ॐ ब्रह्मणस्पनये नम:
ॐ ज्येष्ठ-राजाय नम:
ॐ निधि-पतये नम:
ॐ निधि-प्रिय-पति-प्रियाय नम:
ॐ हिरण्मय-पुरान्त:-स्थाय नम:
ॐ सूर्य-मण्डल-मध्यगाय नम:
ॐ कराहति-ध्वस्त-सिन्धु-सलिलाय नम:
ॐ पूष-दन्त भिदे नम:
ॐ उमांक-केलि-कुतुकिने नम:
ॐ मुक्तिदाय नम:
ॐ कुलपालनाय नम:
ॐ किरीटिने नम:
ॐ कुण्डलिने नम:
ॐ हारिणे नम:
ॐ वन-मालिने नम:
ॐ मनो-मयाय नम:
ॐ वैमुख्य-हत-दैत्य-श्रिये नम:
ॐ पादाहति-जित-क्षितये नम:
ॐ सद्योजात-स्वर्ण-मुञ्ज-मेखलिने नम:
ॐ दुर्निमित्त-हृते नम:
ॐ दुस्स्वप्ने-हृते नम:
ॐ प्र-सहनाय नम:
ॐ गुणिने नम:
ॐ नाद-प्रतिष्ठिताय नम:
ॐ सु-रूपाय नम:
ॐ सर्व-नेत्राधि-वासाय नम:
ॐ वीरासनाश्रयाय नम:
ॐ पीताम्बराय नम:
ॐ खण्ड-रदाय नम:
ॐ खण्डेन्दु-कृत-शेखराय नम:
ॐ चित्रांक-श्याम-दशनाय नम:
ॐ भाल-चन्द्राय नम:
ॐ चतुर्भुजाय नम:
ॐ योगाधिपाय नम:
ॐ तारकस्थाय नम:
ॐ पुरूषाय नम:
ॐ गज-कर्णकाय नम:
ॐ गणाधि-राजाय नम:
ॐ विजय-स्थिराय नम:
ॐ गजपति-ध्वजिने नम:
ॐ देव-देवाय नम:
ॐ स्मर-प्राण-दीपकाय नम:
ॐ वायु-कीलकाय नम:
ॐ विपश्चिद्-वरदाय नम:
ॐ नादोन्नाद-भिन्न-बलाहकाय नम:
ॐ वराह-रदनाय नम:
ॐ मृत्युज्याय नम:
ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नम:
ॐ इच्छा-शक्ति-धराय नम:
ॐ देव-त्रात्रे नम:
ॐ दैत्य-विमर्दनाय नम:
ॐ शम्भु-वक्त्रोद्भवाय नम:
ॐ शम्भु-कोपघ्ने नम:
ॐ शम्भु-हास्य-भुवे नम:
ॐ शम्भु-तेजसे नम:
ॐ शिवा-शोक-हारिणे नम:
ॐ गौरी-सुखावहाय नम:
ॐ उमांग-मलजाय नम:
ॐ गौरी-तेजो-भुवे नम:
ॐ स्वर्धुनी-भवाय नम:
ॐ यज्ञ-कायाय नम:
ॐ महा-नादाय नम:
ॐ गिरि-वर्ष्मणे नम:
ॐ शुभाननाय नम:
ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ सर्व-देवात्मने नम:
ॐ ब्रह्म-मूर्ध्ने नम:
ॐ ककुप्-छुतये नम:
ॐ ब्रह्माण्ड-कुम्भाय नम:
ॐ चिद्-व्योम-भालाय नम:
ॐ सत्य-शिरोरूहाय नम:
ॐ जगज्जन्म-लयोन्मेष-निमेषाय नम:
ॐ अग्नयर्क-सोम-दृशे नम:
ॐ गिरीन्द्रैक-रदाय नम:
ॐ धर्माधर्मोष्ठाय नम:
ॐ साम-बृंहिताय नम:
ॐ ग्रहर्क्ष-दशनाय नम:
ॐ वाणी-जिह्वाय नम:
ॐ वासव-नासिकाय नम:
ॐ कुलाचलांसाय नम:
ॐ सोमार्क-घण्टाय नम:
ॐ रूद्र-शिरो-धराय नम:
ॐ नदी-नद-भुजाय नम:
ॐ सर्पांगुलीकाय नम:
ॐ तारका-नखाय नम:
ॐ भ्रू-मध्य-संस्थित-कराय नम:
ॐ ब्रह्म-विद्या-मदोत्कटाय नम:
ॐ व्योम-नाभये नम:
ॐ श्री-हृदयाय नम:
ॐ मेरू-पृष्ठाय नम:
ॐ अर्णवोदराय नम:
ॐ कुक्षिस्थ-यक्ष-गन्धर्व-रक्ष:-किन्नर-मानुषाय नम:
ॐ पृथ्वी-कटये नम:
ॐ सृष्टि-लिंगाय नम:
ॐ शैलोरवे नम:
ॐ दस्र-जानुकाय नम:
ॐ पाताल-जंघाय नम:
ॐ मुनि पदे नम:
ॐ कालाङ्गुष्ठाय नम:
ॐ त्रयी-तनवे नम:
ॐ ज्योतिर्मण्डल-लाङ्गूलाय नम:
ॐ हृदयालान-निश्चलाय नम:
ॐ हृत्-पद्म-कर्णिका-शालि-वियत्-केलि-सरोवराय नम:
ॐ सद्-भक्त-ध्यान-निगडाय नम:
ॐ पूजा-वारी-निवारिताय नम:
ॐ प्र-तापिने नम:
ॐ कश्यप-सुताय नम:
ॐ गणपाय नम:
ॐ विष्टपिने नम:
ॐ बलिने नम:
ॐ यशस्विने नम:
ॐ धार्मिकाय नम:
ॐ स्वोजसे नम:
ॐ प्रथमाय नम:
ॐ प्रथमेश्वराय नम:
ॐ चिन्ता-मणि-द्वीप-पतये नम:
ॐ कल्प-द्रुम-वनालयाय नम:
ॐ रत्न-मण्डप-मध्यस्थाय नम:
ॐ रत्न-सिंहासनाश्रयाय नम:
ॐ तीव्रा-शिरो-धृत-पदाय नम:
ॐ ज्वालिनी-मौलि-लालिताय नम:
ॐ नन्दा-नन्दित-पीठ-श्रिये नम:
ॐ भोगदा-भूषितासनाय नम:
ॐ सकाम-दायिनी-पीठाय नम:
ॐ स्फुरदुग्रासनाश्रयाय नम:
ॐ तेजो-वती-शिरो-रत्नाय नम:
ॐ सत्या-नित्या·वतंसिताय नम:
ॐ स-विघ्न-नाशिनी-पीठाय नम:
ॐ सर्व-शक्त्यम्बुजाश्रयाय नम:
ॐ लिपि-पद्मसनाधाराय नम:
ॐ विन्ह-धाम-त्रयाश्रयाय नम:
ॐ उन्नत-प्रपदाय नम:
ॐ गूढ़-गुल्फाय नम:
ॐ संवृत-पार्ष्णिकाय नम:
ॐ पीन-जंघाय नम:
ॐ श्लिष्ट-जानवे नम:
ॐ स्थूलारवे नम:
ॐ प्रोन्नमत्-कटये नम:
ॐ निम्न-नाभये नम:
ॐ स्थूल-कुक्षये नम:
ॐ पीन-वक्षसे नम:
ॐ बृहद्-भुजाय नम:
ॐ पीन-स्कन्धाय नम:
ॐ कम्बु-कण्ठाय नम:
ॐ लम्बोष्ठाय नम:
ॐ लम्ब-नासिकाय नम:
ॐ भग्न-वाम-रदाय नम:
ॐ तुंगाय सव्य-दन्ताय नम:
ॐ महा-हनवे नम:
ॐ ह्रस्व-नेत्र-त्रयाय नम:
ॐ शूर्प-कर्णाय नम:
ॐ निबिड-मस्तकाय नम:
ॐ स्तबकाकार-कुम्भाग्राय नम:
ॐ रत्न-मौलये नम:
ॐ निरंकुशाय नम:
ॐ सर्प-हार-कटी-सूत्राय नम:
ॐ सर्प-यज्ञोपवीत-वते नम:
ॐ सर्प-कोटीर-कटकाय नम:
ॐ सर्प-ग्रैवेयकांगदाय नम:
ॐ सर्प-कक्षोदराबन्धाय नम:
ॐ सर्प-राजोत्तरीयकाय नम:
ॐ रक्ताय नम:
ॐ रक्ताम्बर-धराय नम:
ॐ रक्त-माल्य-विभूषणाय नम:
ॐ रक्तेक्षणाय नम:
ॐ रक्त-कराय नम:
ॐ रक्त-ताल्वोष्ठ-पल्लवाय नम:
ॐ श्वेताय नम:
ॐ श्वेताम्बर-धराय नम:
ॐ श्वेत-माल्य-विभूषणाय नम:
ॐ श्वेतात-पत्र-रूचिराय नम:
ॐ श्वेत-चामर-वीजिताय नम:
ॐ सर्वावयव-सम्पूर्ण-सर्वलक्षण-लक्षिताय नम:
ॐ सर्वाभरण-शोभाढयाय नम:
ॐ सर्व-शोभा-समन्विताय नम:
ॐ सर्व-मंगल-मांगल्याय नम:
ॐ सर्व-कारण-कारणाय नम:
ॐ सर्वदैक-कराय नम:
ॐ शांर्गिणे नम:
ॐ बीजापूरिणे नम:
ॐ गदा-धराय नम:
ॐ इक्षु-चाप-धराय नम:
ॐ शूलिने नम:
ॐ चक्र-पाणये नम:
ॐ सरोज-भृते नम:
ॐ पाशिने नम:
ॐ धृतोत्पलाय नम:
ॐ शालि-मंजरी-भृते नम:
ॐ स्व-दन्त-भृते नम:
ॐ कल्प-वल्ली-धराय नम:
ॐ विश्वाभयदैक-कराय नम:
ॐ वशिने नम:
ॐ अक्ष-माला-धराय नम:
ॐ ज्ञान-मुद्रा-वते नम:
ॐ मुद्गरायुधाय नम:
ॐ पूर्ण-पात्रिणे नम:
ॐ कम्बु-धराय नम:
ॐ विधृतालि-समुद्रकाय नम:
ॐ मातु-लुंग-धराय नम:
ॐ चूत-कालिका-भृते नम:
ॐ कुठार-वते नम:
ॐ पुष्करस्थ-स्वर्ण-घटी-पूर्णरत्नाभि-वर्षकाय नम:
ॐ भारती-सुन्दरी-नाथाय नम:
ॐ विनायक-रति-प्रियाय नम:
ॐ महालक्ष्मी-प्रियतमाय नम:
ॐ सिद्धलक्ष्मी-मनोरमाय नम:
ॐ रमा-राकेश-पूर्वांगाय नम:
ॐ दक्षिणोमा-महेश्वराय नम:
ॐ मही-वराह-वामांगाय नम:
ॐ रति-कन्दर्प-पश्चिमाय नम:
ॐ आमोद-मोद-जननाय नम:
ॐ स-प्रमोद-प्रमोदनाय नम:
ॐ समेधित-समृद्धि-श्रिये नम:
ॐ ऋद्धि-सिद्धि प्रवर्तकाय नम:
ॐ दत्त-सौमुख्य-सुमुखाय नम:
ॐ कान्ति-कन्दलिताश्रयाय नम:
ॐ मदना-वत्याश्रिताङ्घ्रये नम:
ॐ कृत्त-दौर्मुख्य-दुर्मुखाय नम:
ॐ विघ्न-सम्पल्लवोपघ्न-सेवाय नम:
ॐ उन्निद्र-मद-द्रवाय नम:
ॐ विघ्न-कृन्निघ्न-चरणाय नम:
ॐ द्राविणी-शक्ति-सत्-कृताय नम:
ॐ तीव्रा-प्रसन्न-नयनाय नम:
ॐ ज्वालिनी-पालितैक-दृशे नम:
ॐ मोहिनी-मोहनाय नम:
ॐ भोग-दायिनी-कान्ति-मण्डिताय नम:
ॐ कामिनी-कान्त-वक्त्र-श्रिये नम:
ॐ अधिष्ठित-वसुन्धराय नम:
ॐ वसुन्धरा-मदोन्नद्ध-महाशंख-निधि-प्रभवे नम:
ॐ नमद्-वसुमती-मौलि-महापद्म-निधि-प्रभवे नम:
ॐ सर्व-सद्गुरू-संसेव्याय नम:
ॐ शोचिष्केश-हृदाश्रयाय नम:
ॐ ईशान-मूर्ध्ने नम:
ॐ देवेन्द्र-शिखायै नम:
ॐ पवन-नन्दनाय नम:
ॐ अग्र-प्रत्यग्र-नयनाय नम:
ॐ दिव्यास्त्राणां प्रयोग-विदे नम:
ॐ ऐरावतादि-सर्वाशा-वारणावरण-प्रियाय नम:
ॐ वज्राद्यस्त्र-परीवाराय नम:
ॐ गए-चण्ड-समाश्रयाय नम:
ॐ जयाजय-परीवाराय नम:
ॐ विजया-विजयावहाय नम:
ॐ अजितार्चित-पादाब्जाय नम:
ॐ नित्यानित्याऽवतंसिताय नम:
ॐ विलासिनी-कृतोल्लासाय नम:
ॐ शौण्डी-सौन्दर्य-मण्डिताय नम:
ॐ अनन्तानन्त-सुखदाय नम:
ॐ सुमंगल-मंगलाय नम:
ॐ इच्छाशक्ति-ज्ञानशक्ति-क्रियाशक्ति-निषेविताय नम:
ॐ सुभगा-संश्रित-पदाय नम:
ॐ ललिता-ललिताश्रयाय नम:
ॐ कामिनी-कामनाय नम:
ॐ काम-मालिनी-केलि-लालिताय नम:
ॐ सरस्वत्याश्रयाय नम:
ॐ गौरी-नन्दनाय नम:
ॐ श्री-निकेतनाय नम:
ॐ गुरू-गुप्त-पदाय नम:
ॐ वाचा-सिद्धाय नम:
ॐ वागीश्वरी-पतये नम:
ॐ नलिनी-कामुकाय नम:
ॐ वामा-रामाय नम:
ॐ ज्येष्ठा-मनोरमाय नम:
ॐ रौद्री-मुद्रित-पादाब्जाय नम:
ॐ हुम्बीजाय नम:
ॐ तुंग-शक्तिकाय नम:
ॐ विश्वादि-जनन-त्राणाय नम:
ॐ स्वाहा-शक्तये नम:
ॐ स-कीलकाय नम:
ॐ अमृताब्धि-कृतावासाय नम:
ॐ मद-घूर्णित-लोचनाय नम:
ॐ उच्छिष्ठ-गणाय नम:
ॐ उच्छिष्ठ-गणेशाय नम:
ॐ गण नायकाय नम:
ॐ सार्वकालिक-संसिद्धये नम:
ॐ नित्य-शैवाय नम:
ॐ दिगम्बराय नम:
ॐ अनपायाय नम:
ॐ अनन्त-दृष्टये नम:
ॐ अप्रमेयाय नम:
ॐ अजरामराय नम:
ॐ अनाविलाय नम:
ॐ अ-प्रतिरथाय नम:
ॐ अच्युताय नम:
ॐ अमृताय नम:
ॐ अक्षराय नम:
ॐ अ-प्रतर्क्याय नम:
ॐ अक्षयाय नम:
ॐ अजय्याय नम:
ॐ अनाधाराय नम:
ॐ अनामयाय नम:
ॐ अमलाय नम:
ॐ अमोघ-सिद्धये नम:
ॐ अद्वैताय नम:
ॐ अघोराय नम:
ॐ अप्रतिमाननाय नम:
ॐ अनाकाराय नम:
ॐ अब्धि-भूम्यग्नि-बलघ्नाय नम:
ॐ अव्यक्त-लक्षणाय नम:
ॐ आधार-पीठाय नम:
ॐ आधाराय नम:
ॐ आधाराधेय-वर्जिताय नम:
ॐ आखु-केतनाय नम:
ॐ आशा-पूरकाय नम:
ॐ आखु-महारथाय नम:
ॐ इक्षु-सागर-मध्यस्थाय नम:
ॐ इक्षु-भक्षण-लालसाय नम:
ॐ इक्षु-चापातिरेक-श्रिये नम:
ॐ इक्षु-चाप-निषेविताय नम:
ॐ इन्द्र-गोप-समान-श्रिये नम:
ॐ इन्द्र-नील-सम-द्युतये नम:
ॐ इन्दीवर-दल-श्यामाय नम:
ॐ इन्दु-मण्डल-निर्मलाय नम:
ॐ इध्म-प्रियाय नम:
ॐ इडा-भागाय नम:
ॐ इडा-धाम्ने नम:
ॐ इन्दिरा-प्रियाय नम:
ॐ इक्ष्वाकु-विघ्न-विध्वंसिने नम:
ॐ इति-कर्त्तव्यतेप्सिताय नम:
ॐ ईशान-मौलये नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ ईशान-सुताय नम:
ॐ ईतिघ्ने नम:
ॐ ईषणा-त्रय-कल्पान्ताय नम:
ॐ ईहा-मात्र-विवर्जिताय नम:
ॐ उपेन्द्राय नम:
ॐ उडु-भृन्मौलये नम:
ॐ उण्डेरक-बलि-प्रियाय नम:
ॐ उन्नताननाय नम:
ॐ उतुंगाय नम:
ॐ उदार-त्रिदशाग्र-गण्ये नम:
ॐ ऊर्जस्वते नम:
ॐ ऊष्मल-मदाय नम:
ॐ ऊहा-पोह-दुरासदाय नम:
ॐ ऋग्-यजुस्साम-सम्भूतये नम:
ॐ ऋद्धि-सिद्धि-प्रवर्तकाय नम:
ॐ ऋजु-चितैक-सुलभाय नम:
ॐ ऋण-त्रय-विमोचकाय नम:
ॐ स्व-भक्तानां लुप्त-विघ्नाय नम:
ॐ सुर-द्विषां लुप्त-शक्तये नम:
ॐ विमुखार्चानां लुप्त-श्रिये नम:
ॐ लूता-विस्फोट-नाशनाय नम:
ॐ एकार-पीठ-मध्यस्थाय नम:
ॐ एकपाद-कृतासनाय नम:
ॐ एजिताखिल-दैत्य-श्रिये नम:
ॐ एधिताखिल-संश्रयाय नम:
ॐ ऐश्वर्य-निधये नम:
ॐ ऐश्वर्याय नम:
ॐ ऐहिकामुष्मिक-प्रदाय नम:
ॐ एरम्मद-समोन्मेषाय नम:
ॐ ऐरावत-निभाननाय नम:
ॐ ओंकार-वाच्याय नम:
ॐ ओंकाराय नम:
ॐ ओजस्वते नम:
ॐ ओषधि-पतये नम:
ॐ औदार्य-निधये नम:
ॐ औद्धत्य-धुर्याय नम:
ॐ औन्नत्य-निस्वनाय नम:
ॐ सुर-नागानामङ्कुशाय नम:
ॐ सुर-विद्विषामङ्कुशाय नम:
ॐ अ:-समस्त-विसर्गान्त-पदेषु-परिकीर्तिताय नम:
ॐ कमण्डलु-धराय नम:
ॐ कल्पाय नम:
ॐ कपिर्दने नम:
ॐ कलभाननाय नम:
ॐ कर्म साक्षिणे नम:
ॐ कर्म-कर्त्रे नम:
ॐ कर्माकर्म-फल-प्रदाय नम:
ॐ कदम्ब-गोलकाकाराय नम:
ॐ कूष्माड-गणनायकाय नम:
ॐ कारूण्य-देहाय नम:
ॐ कपिलाय नम:
ॐ कथकाय नम:
ॐ कटि-सूत्र-भृते नम:
ॐ खर्वाय नम:
ॐ खड्ग-खान्तान्तस्थाय नम:
ॐ ख-निर्मलाय नम:
ॐ खल्वाट-श्रृंग-निलयाय नम:
ॐ खट्वांगिने नम:
ॐ ख-दुरासदाय नम:
ॐ गुणाढयाय नम:
ॐ गहनाय नम:
ॐ ग-स्थाय नम:
ॐ गद्य-पद्य-सुधार्णवाय नम:
ॐ गद्य-गान-प्रियाय नम:
ॐ गर्जाय नम:
ॐ गीत-गीर्वाण-पूर्वजाय नम:
ॐ गुह्याचार-रताय नम:
ॐ गुह्याय नम:
ॐ गुह्यागम-निरूपिताय नम:
ॐ गुहाशयाय नम:
ॐ गुहाब्धि-स्थाय नम:
ॐ गुरू-गम्याय नम:
ॐ गुरोर्गुरवे नम:
ॐ घण्टा-घर्घरिका-मालिने नम:
ॐ घट-कुम्भाय नम:
ॐ घटोदराय नम:
ॐ चण्डाय नम:
ॐ चण्डेश्वर-सुहृदे नम:
ॐ चण्डीशाय नम:
ॐ चण्ड-विक्रमाय नम:
ॐ चराचर-पतये नम:
ॐ चिन्तामणि-चर्वण-लालसाय नम:
ॐ छन्दसे नम:
ॐ छन्दो-वपुषे नम:
ॐ छन्दो-दुर्लक्ष्याय नम:
ॐ छन्द-विग्रहाय नम:
ॐ जगद्-योनये नम:
ॐ जगत्-साक्षिणे नम:
ॐ जगदीशाय नम:
ॐ जगन्मयाय नम:
ॐ जपाय नम:
ॐ जप-पराय नम:
ॐ जप्याय नम:
ॐ जिह्वा-सिंहासन-प्रभवे नम:
ॐ झलज्झल्लोल्लसद्-दान-झंकारि-भ्रमराकुलाय नम:
ॐ टंकार-स्फार-संरावाय नम:
ॐ टंकारि-मणि-नूपुराय नम:
ॐ ठ-द्वयी-पल्लवान्तस्थ-सर्व-मन्त्रैक-सिद्धिदाय नम:
ॐ डिण्डि-मुण्डाय नम:
ॐ डाकिनीशाय नम:
ॐ डामराय नम:
ॐ डिण्डिम-प्रियाय नम:
ॐ ढक्का-निनाद-मुदिताय नम:
ॐ ढौकाय नम:
ॐ ढुण्ढि-विनायकाय नम:
ॐ तत्वानां परमाय तत्त्वाय नम:
ॐ तत्वं-पद-निरूपिताय नम:
ॐ तारकान्तर-संस्थानाय नम:
ॐ तारकाय नम:
ॐ तारकान्तकाय नम:
ॐ स्थाणवे नम:
ॐ स्थाणु-प्रियाय नम:
ॐ स्थात्रे नम:
ॐ स्थावराय जंगमाय जगते नम:
ॐ दक्ष-यज्ञ-प्रमथनाय नम:
ॐ दात्रे नम:
ॐ दानव-मोहनाय नम:
ॐ दया-वते नम:
ॐ दिव्य-विभनाय नम:
ॐ दण्ड-भृते नम:
ॐ दण्ड-नायकाय नम:
ॐ दन्त-प्रभिन्नाभ्र-मालाय नम:
ॐ दैत्य-वारण-दारणाय नम:
ॐ दंष्ट्रा-लग्न-द्विप-घटाय नम:
ॐ देवार्थ-नृ-गजाकृतये नम:
ॐ धन-धान्य-पतये नम:
ॐ धन्याय नम:
ॐ धनदाय नम:
ॐ धरणी-धराय नम:
ॐ ध्यानैक-प्रकटाय नम:
ॐ ध्येयाय नम:
ॐ ध्यानाय नम:
ॐ ध्यान-परायणाय नम:
ॐ नन्द्याय नम:
ॐ नन्द्याय नम:
ॐ निन्द-प्रियाय नम:
ॐ नादाय नम:
ॐ नाद-मध्य-प्रतिष्ठिताय नम:
ॐ निष्कलाय नम:
ॐ निर्मलाय नम:
ॐ नित्याय नम:
ॐ नित्यानित्याय नम:
ॐ निरामयाय नम:
ॐ परस्मै व्योम्ने नम:
ॐ परस्मै धाम्ने नम:
ॐ परमात्मने नम:
ॐ परस्मै पदाय नम:
ॐ परात्पराय नम:
ॐ पशु-पतये नम:
ॐ पशु-पाश-विमोचकाय नम:
ॐ पूर्णानन्दाय नम:
ॐ परानन्दाय नम:
ॐ पुराण-पुरूषोत्तमाय नम:
ॐ पद्म-प्रसन्न-नयनाय नम:
ॐ प्रणताज्ञान-मोचनाय नम:
ॐ प्रमाण-प्रत्ययातीताय नम:
ॐ प्रणतार्ति-निवारणाय नम:
ॐ फल-हस्ताय नम:
ॐ फणि-पतये नम:
ॐ फेत्काराय नम:
ॐ फाणित-प्रियाय नम:
ॐ बाणार्चिताङ्घ्रि-युगलाय नम:
ॐ बाल-केलि-कुतूहलिने नम:
ॐ ब्रह्मणे नम:
ॐ ब्रह्मार्चित-पदाय नम:
ॐ ब्रह्मचारिणे नम:
ॐ बृहस्पतये नम:
ॐ बृहत्तमाय नम:
ॐ ब्रह्म-पराय नम:
ॐ ब्रह्मण्याय नम:
ॐ ब्रह्म-वित्-प्रियाय नम:
ॐ बृहन्नादाग्रय-चीत्काराय नम:
ॐ ब्रह्माण्डावलि-मेखलाय नम:
ॐ भ्रु-क्षेप-दत्त-लक्ष्मी-काय नम:
ॐ भर्गाय नम:
ॐ भद्राय नम:
ॐ भयापहाय नम:
ॐ भगवते नम:
ॐ भक्ति-सुलभाय नम:
ॐ भूतिदाय नम:
ॐ भूति-भूषणाय नम:
ॐ भव्याय नम:
ॐ भूतालयाय नम:
ॐ भोगदात्रे नम:
ॐ भ्रू-मध्य-गोचराय नम:
ॐ मन्त्राय नम:
ॐ मन्त्र-पतये नम:
ॐ मिन्त्रणे नम:
ॐ मद-मत्त-मनोरमाय नम:
ॐ मेखलावते नम:
ॐ मन्द-गतये नम:
ॐ मति-मत्-कमलेक्षणाय नम:
ॐ महा-बलाय नम:
ॐ महा-वीर्याय नम:
ॐ महा-प्राणाय नम:
ॐ महा-मनसे नम:
ॐ यज्ञाय नम:
ॐ यज्ञ-पतये नम:
ॐ यज्ञ-गोप्त्रे नम:
ॐ यज्ञ-फल-प्रदाय नम:
ॐ यशस्कराय नम:
ॐ योग-गम्याय नम:
ॐ याज्ञिकाय नम:
ॐ याजक-प्रियाय नम:
ॐ रसाय नम:
ॐ रस-प्रियाय नम:
ॐ रस्याय नम:
ॐ रञ्जकाय नम:
ॐ रावणार्चिताय नम:
ॐ रक्षो-रक्षा-कराय नम:
ॐ रत्न-गर्भाय नम:
ॐ राज्य-सुख-प्रदाय नम:
ॐ लक्ष्याय नम:
ॐ लक्ष्य-प्रदाय नम:
ॐ लक्ष्याय नम:
ॐ लड्डुक-प्रियाय नम:
ॐ लान-प्रियाय नम:
ॐ लास्य-पराय नम:
ॐ लाभ-कृते नम:
ॐ लोक-विश्रुताय नम:
ॐ वरेण्याय नम:
ॐ वह्नि-वदनाय नम:
ॐ वन्द्याय नम:
ॐ वेदान्त-गोचराय नम:
ॐ वि-कर्त्रे नम:
ॐ विश्वतश्चक्षुषे नम:
ॐ विधात्रे नम:
ॐ विश्वतो-मुखाय नम:
ॐ वाम-देवाय नम:
ॐ विश्व-नेत्रे नम:
ॐ वज्रि-वज्र-निवारणाय नम:
ॐ विश्व-बन्धन-विष्कम्भा-धाराय नम:
ॐ विश्वेश्वर-प्रभवे नम:
ॐ शब्द-ब्रह्मणे नम:
ॐ शम-प्राप्याय नम:
ॐ शम्भु-शक्ति-गणेश्वराय नम:
ॐ शास्त्रे नम:
ॐ शिखाग्र-निलयाय नम:
ॐ शरण्याय नम:
ॐ शिखरीश्वराय नम:
ॐ षड्-ऋतु-कुसुम-स्रिग्वणे नम:
ॐ षडाधाराय नम:
ॐ षडक्षराय नम:
ॐ संसार-वैद्याय नम:
ॐ सर्वज्ञाय नम:
ॐ सर्व-भेषज-भेषजाय नम:
ॐ सृष्टि-स्थिति-लय-क्रीडाय नम:
ॐ सुर-कुंजर-भेदनाय नम:
ॐ सिन्दुरित-महा-कुम्भाय नम:
ॐ सद्सद्-व्यक्ति-दायकाय नम:
ॐ साक्षिणे नम:
ॐ समुद्र-मन्थनाय नम:
ॐ स्व-संवेद्याय नम:
ॐ स्व-दक्षिणाय नम:
ॐ स्वतन्त्राय नम:
ॐ सत्य-संकल्पाय नम:
ॐ साम-गान-रताय नम:
ॐ सुखिने नम:
ॐ हंसाय नम:
ॐ हस्ति-पिशाचीशाय नम:
ॐ हवनाय नम:
ॐ हव्य-कव्य-भुजे नम:
ॐ हव्याय नम:
ॐ हुत-प्रियाय नम:
ॐ हर्षाय नम:
ॐ हृल्लेखा-मन्त्र-मध्यगाय नम:
ॐ क्षेत्राधिपाय नम:
ॐ क्षमा-भर्त्रे नम:
ॐ क्षमा-पर-परायणाय नम:
ॐ क्षिप्र-क्षेम-कराय नम:
ॐ क्षेमानन्दाय नम:
ॐ क्षोणी-सुर-द्रुमाय नम:
ॐ धर्म-प्रदाय नम:
ॐ अर्थदाय नम:
ॐ काम-दात्रे नम:
ॐ सौभाग्य-वर्धनाय नम:
ॐ विद्या-प्रदाय नम:
ॐ विभवदाय नम:
ॐ भुक्ति-मुक्ति-फल-प्रदाय नम:
ॐ आभिरूप्य-कराय नम:
ॐ वीर-श्री-प्रदाय नम:
ॐ विजय-प्रदाय नम:
ॐ सर्व-वश्य-कराय नम:
ॐ गर्भ-दोषघ्ने नम:
ॐ पुत्र-पौत्रदाय नम:
ॐ मेधादाय नम:
ॐ कीर्तिदाय नम:
ॐ शोक-हारिणे नम
ॐ दौर्भाग्य-नाशनाय नम:
ॐ प्रति-वादि-मुख-स्तम्भाय नम:
ॐ रूष्ट-चित्त-प्रसादनाय नम:
ॐ पराभिचार-शमनाय नम:
ॐ दु:ख-भंजन-कारकाय नम:
ॐ लवाय नम:
ॐ त्रुटये नम:
ॐ कलायै नम:
ॐ काष्ठायै नम:
ॐ निमेषाय नम:
ॐ तत्पराय नम:
ॐ क्षणाय नम:
ॐ घटयै नम:
ॐ मुहूर्ताय नम:
ॐ प्रहराय नम:
ॐ दिवा-नक्ताय नम:
ॐ अहर्निशाय नम:
ॐ पक्षाय नम:
ॐ मासाय नम:
ॐ अयनाय नम:
ॐ वर्षाय नम:
ॐ युगाय नम:
ॐ कल्पाय नम:
ॐ महा-लयाय नम:
ॐ राशये नम:
ॐ तारायै नम:
ॐ तिथये नम:
ॐ योगाय नम:
ॐ वाराय नम:
ॐ करणाय नम:
ॐ अंशकाय नम:
ॐ लग्नाय नम:
ॐ होरायै नम:
ॐ काल-चक्राय नम:
ॐ मेरवे नम:
ॐ सप्तिर्षभ्यो नम:
ॐ ध्रुवाय नम:
ॐ राहवे नम:
ॐ मन्दाय नम:
ॐ कवये नम:
ॐ जीवाय नम:
ॐ बुधाय नम:
ॐ भौमाय नम:
ॐ शशिने नम:
ॐ रवये नम:
ॐ कालाय नम:
ॐ सृष्टये नम:
ॐ स्थितये नम:
ॐ विश्वस्मै स्थावराय जंगमाय नम:
ॐ भुवे नम:
ॐ अद्भयो नम:
ॐ अग्नये नम:
ॐ मरूते नम:
ॐ व्योम्ने नम:
ॐ अहङ्कृतये नम:
ॐ प्रकृतये नम:
ॐ पुंसे नम:
ॐ ब्रह्मणे नम:
ॐ विष्णवे नम:
ॐ शिवाय नम:
ॐ रूद्राय नम:
ॐ ईशाय नम:
ॐ शक्तये नम:
ॐ सदा-शिवाय नम:
ॐ त्रिदशेभ्यो नम:
ॐ पितृभ्यो नम:
ॐ सिद्धेभ्यो नम:
ॐ यक्षेभ्यो नम:
ॐ रक्षोभ्यो नम:
ॐ किन्नरेभ्यो नम:
ॐ साध्येभ्यो नम:
ॐ विद्याधरेभ्यो नम:
ॐ भूतेभ्यो नम:
ॐ खगेभ्यो नम:
ॐ समुद्रभ्यो नम:
ॐ सरिद्भ्यो नम:
ॐ शैलेभ्यो नम:
ॐ भूताय नम:
ॐ भव्याय नम:
ॐ भवोद्भवाय नम:
ॐ सांखयाय नम:
ॐ पातंजलाय नम:
ॐ योगाय नम:
ॐ पुराणेभ्यो नम:
ॐ श्रुत्यै नम:
ॐ स्मृत्यै नम:
ॐ वेदांगेभ्यो नम:
ॐ सदाचाराय नम:
ॐ मीमांसायै नम:
ॐ न्याय-विस्तराय नम:
ॐ आयुर्वेदाय नम:
ॐ धनुर्वेदाय नम:
ॐ गान्धर्वाय नम:
ॐ काव्य-नाटकाय नम:
ॐ वैखानसाय नम:
ॐ भागवताय नम:
ॐ सात्वताय नम:
ॐ पाञ्च-रात्रकाय नम:
ॐ शैवाय नम:
ॐ पाशुपताय नम:
ॐ काला-मुखाय नम:
ॐ भैरव-शासनाय नम:
ॐ शाक्ताय नम:
ॐ वैनायकाय नम:
ॐ सौराय नम:
ॐ जैनाय नम:
ॐ आर्हत-संहितायै नम:
ॐ सते नम:
ॐ असते नम:
ॐ व्यक्ताय नम:
ॐ अ-व्यक्ताय नम:
ॐ स-चेतनाय नम:
ॐ अ-चेतनाय नम:
ॐ बन्धाय नम:
ॐ मोक्षाय नम:
ॐ सुखाय नम:
ॐ भोगाय नम:
ॐ अ-योगाय नम:
ॐ सत्याय नम:
ॐ अणवे नम:
ॐ महते नम:
ॐ स्वस्ति नम:
ॐ हुं नम:
ॐ फट् नम:
ॐ स्वधा नम:
ॐ स्वाहा नम:
ॐ श्रौष्ट् नम:
ॐ वौष्ट् नम:
ॐ वषट् नम:
ॐ नमो नम:
ॐ ज्ञानाय नम:
ॐ विज्ञानाय नम:
ॐ आनन्दाय नम:
ॐ बोधाय नम:
ॐ संविदे नम:
ॐ शमाय नम:
ॐ यमाय नम:
ॐ एकस्मै नम:
ॐ एकाक्षराधाराय नम:
ॐ एकाक्षर-परायणाय नम:
ॐ एकाग्र-धिये नम:
ॐ एक-वीराय नम:
ॐ एकानेक-स्वरूप-धृते नम:
ॐ द्वि-रूपाय नम:
ॐ द्वि-भुजाय नम:
ॐ द्वयक्षाय नम:
ॐ द्विरदाय नम:
ॐ द्वीप-रक्षकाय नम:
ॐ द्वै-मातुराय नम:
ॐ द्वि-वदनाय नम:
ॐ द्वन्द्वातीताय नम:
ॐ द्वयातिगाय नम:
ॐ त्रि-धाम्ने नम:
ॐ त्रि-कराय नम:
ॐ त्रेता-त्रिवर्ग-फल-दायकाय नम:
ॐ त्रिगुणात्मने नम:
ॐ त्रिलोकादये नम:
ॐ त्रिशक्तिशाय नम:
ॐ त्रिलोचनाय नम:
ॐ चतुर्बाहवे नम:
ॐ चतुर्दन्ताय नम:
ॐ चतुरात्मने नम:
ॐ चतुर्मुखाय नम:
ॐ चतुर्विधोपाय-मयाय नम:
ॐ चतुर्वर्णाश्रमाश्रयाय नम:
ॐ चतुर्विध-वचो-वृत्ति-परिवृत्ति-प्रवर्तकाय नम:
ॐ चतुर्थी-पूजन-प्रीताय नम:
ॐ चतुर्थी-तिथि-सम्भवाय नम:
ॐ पंचाक्षरात्मने नम:
ॐ पंचात्मने नम:
ॐ पंचास्याय नम:
ॐ पंच-कृत्य-कृते नम:
ॐ पंचाधाराय नम:
ॐ पंच-वर्णाय नम:
ॐ पंचाक्षर-परायणाय नम:
ॐ पंच-तालाय नम:
ॐ पंच-कराय नम:
ॐ पंच-प्रणव-भाविताय नम:
ॐ पंच-ब्रह्म-मय-स्फूर्तये नम:
ॐ पंचावरण-वारिताय नम:
ॐ पंच-भक्ष्य-प्रियाय नम:
ॐ पंच-बाणाय नम:
ॐ पंच-शिवात्मकाय नम:
ॐ षट्-कोण-पीठाय नम:
ॐ षट्-चक्र-धाम्ने नम:
ॐ षड्-ग्रिन्थ-भेदकाय नम:
ॐ षडध्व-ध्वान्त-विध्वंसिने नम:
ॐ षडङ्गुल-महा-हृदाय नम:
ॐ षण्मुखाय नम:
ॐ षण्मुख-भ्रात्रे नम:
ॐ षट्-शक्ति-परिवारिताय नम:
ॐ षड्-वैरि-वर्ग-विध्वंसिने नम:
ॐ षडूर्मि-भय-भंजनाय नम:
ॐ षट्-तर्क-दूराय नम:
ॐ षट्-कर्म-निरताय नम:
ॐ षड्-रसाश्रयाय नम:
ॐ सप्त-पाताल-चरणाय नम:
ॐ सप्त-द्वीपोरू-मण्डलाय नम:
ॐ सप्त-स्वर्लोक-मुकुटाय नम:
ॐ सप्त-सप्ति-वर-प्रदाय नम:
ॐ सन्तांग-राज्य-सुखदाय नम:
ॐ सप्तिर्ष-गण-मण्डिताय नम:
ॐ सप्तछन्दो-निधये नम:
ॐ सप्त-होत्रे नम:
ॐ सप्त-स्वराश्रयाय नम:
ॐ सप्ताब्धि-केलि-कासाराय नम:
ॐ सप्त-मातृ-निषेविताय नम:
ॐ सप्तच्छन्दो-मोद-मदाय नम:
ॐ सप्तच्छन्दो-मख-प्रभवे नम:
ॐ अष्ट-मूर्ति-ध्येय-मूर्तये नम:
ॐ अष्ट-प्रकृति-कारणाय नम:
ॐ अष्टांग-योग-फल-भुवे नम:
ॐ अष्टैश्वर्य-प्रदायकाय नम:
ॐ अष्ट-पीठोप-पीठ-श्रिये नम:
ॐ अष्ट-मातृ-समावृताय नम:
ॐ अष्ट-भैरव सेव्याय नम:
ॐ अष्ट-वसु-वन्द्याय नम:
ॐ अष्ट-मूर्ति-भृते नम:
ॐ अष्ट-चक्र-स्फुरन्मूर्तये नम:
ॐ अष्ट-द्रव्य-हवि:-प्रियाय नम:
ॐ नव-नागासनाध्यासिने नम:
ॐ नव-निध्यनु-शासित्रे नम:
ॐ नवद्वार-पुराधाराय नम:
ॐ नवाधार-निकेतनाय नम:
ॐ नव-नारायण-स्तुत्याय नम:
ॐ नव-दुर्गा-निषेविताय नम:
ॐ नवनाथ-महानाथाय नम:
ॐ नवनाग-विभूषणाय नम:
ॐ नवरत्न-विचित्रांगाय नम:
ॐ नवशक्ति-शिरो-धृताय नम:
ॐ दशात्मकाय नम:
ॐ दश-भुजाय नम:
ॐ दश-दिक्पति-विन्दताय नम:
ॐ दशाध्यायाय नम:
ॐ दश-प्राणाय नम:
ॐ दशेन्द्रिय-नियामकाय नम:
ॐ दशाक्षर-महामन्त्राय नम:
ॐ दशाशा-व्यापि-विग्रहाय नम:
ॐ एकादशादिभि-रूदै:-स्तुताय नम:
ॐ एकादशाक्षराय नम:
ॐ द्वादशोद्दण्ड–दोर्दण्डाय नम:
ॐ द्वादशान्त-निकेतनाय नम:
ॐ त्रयोदशाभिधा·भिन्न-विश्वदेवाधि-दैवताय नम:
ॐ चतुर्दशेन्द्र-वरदाय नम:
ॐ चतुर्दश-मनु-प्रभवे नम:
ॐ चतुर्दशादि-विद्याढयाय नम:
ॐ चतुर्दश-जगत्-प्रभवे नम:
ॐ साम-पंच-दशाय नम:
ॐ पंचदशी-शीतांशु-निर्मलाय नम:
ॐ षोडशाधार-निलयाय नम:
ॐ षोडश-स्वा-मातृकाय नम:
ॐ षोडशान्त-पदावासाय नम:
ॐ षोडशेन्दु-कलात्मकाय नम:
ॐ कलायै-सप्त-दश्यै नम:
ॐ सप्त-दशाय नम:
ॐ सप्त-दशाक्षराय नम:
ॐ अष्टादश-द्वीप-पतये नम:
ॐ अष्टादश-पुराण-कृते नम:
ॐ अष्टादशौषधी-सृष्टये नम:
ॐ अष्टादश-विधि-स्मृताय नम:
ॐ अष्टादश-लिपि-व्यष्टि-समष्टि-ज्ञान-कोविदाय नम:
ॐ एकविंशाय पुंसे नम:
ॐ एकविंशत्यङ्गुलि-पल्लवाय नम:
ॐ चतुर्विंशति-तत्त्वात्मने नम:
ॐ पंच-विंशाख्य-पुरूषाय नम:
ॐ सप्तविंशति-तारेशाय नम:
ॐ सप्तविंशति-योगकृते नम:
ॐ द्वात्रिंशद्-भैरवाधीशाय नम:
ॐ चतुस्त्रिंन्महा-हृदाय नम:
ॐ षट्-त्रिंशत्-तत्त्व-सम्भूतये नम:
ॐ अष्टत्रिंशत्-कला-तनवे नम:
ॐ नमदेकोन-पंचाशन्मरूद्-वर्ग-निरर्गलाय नम:
ॐ पंचाशदक्षर-श्रेण्यै नम:
ॐ पंचाशद्-रूद्र-विग्रहाय नम:
ॐ पंचाशद्-विष्णु-शक्तिशाय नम:
ॐ पंचाशन्मातृका-लयाय नम:
ॐ द्वि-पंचाशद्-वपुश्श्रेण्यै नम:
ॐ त्रिषष्टयक्षर-संश्रयाय नम:
ॐ चतुष्षष्टयर्ण-निर्णेत्रे नम:
ॐ चतुष्षष्टि-कला-निधये नम:
ॐ चतुष्षष्टि-महासिद्ध-योगिनी-वृन्द-विन्दताय नम:
ॐ अष्ट-षष्टि-महातीर्थ-क्षेत्रभैरव-भावनाय नम:
ॐ चतुर्णवति-मन्त्रात्मने नम:
ॐ षण्णवत्यधिक-प्रभवे नम:
ॐ शतानन्दाय नम:
ॐ शत-धृतये नम:
ॐ शत-पत्रायतेक्षणाय नम:
ॐ शतानीकाय नम:
ॐ शत-मखाय नम:
ॐ शतधार-वरायुधाय नम:
ॐ सहस्त्र-पत्र-निलयाय नम:
ॐ सहस्त्र-फण-भूषणाय नम:
ॐ सहस्त्र-शीर्ष्णे-पुरूषाय नम:
ॐ सहस्त्राक्षाय नम:
ॐ सहस्त्र-पदे नम:
ॐ सहस्त्रनाम-संस्तुत्याय नम:
ॐ सहस्त्राक्ष-बलापहाय नम:
ॐ दश-साहस्त्र-फणभृत्-फणिराज-कृतासनाय नम:
ॐ अष्टाशीति-सहस्त्राद्य-महर्षि-स्तोत्र-यन्त्रिताय नम:
ॐ लक्षाधीश-प्रियाधाराय नम:
ॐ लक्षाधार-मनोमयाय नम:
ॐ चतुर्लक्ष-जप-प्रिताय नम:
ॐ चतुर्लक्ष-प्रकाशिताय नम:
ॐ चतुरशीति-लक्षाणां जीवानां देह-संस्थिताय नम:
ॐ कोटि-सूर्य-प्रतीकाशाय नम:
ॐ कोटि-चन्द्रांशु-निर्मलाय नम:
ॐ शिवा-भवाध्युष्ट-कोटि-विनायक-धुरन्धराय नम:
ॐ सप्तकोटि-महामन्त्र-मन्त्रितावयव-द्युतये नम:
ॐ त्रयस्त्रिंशत्-कोटि-सुरश्रेणी-प्रणत-पादुकाय नम:
ॐ अनन्त-नाम्ने नम:
ॐ अनन्त-श्रिये नम:
ॐ अनन्तानन्त-सौख्यदाय नम:
.........................................................................................................................................................................
Friday, May 7, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment